दिल्ली विधानसभा में हंगामा: आम आदमी पार्टी के विधायकों का धरना और सीएजी रिपोर्ट पर घमासान
दिल्ली की राजनीति में एक बार फिर से उथल-पुथल मच गई है। आम आदमी पार्टी (AAP) की नेता और दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की नेता व पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी अपनी पार्टी के विधायकों के साथ प्रदर्शन पर बैठ गई हैं। उनका आरोप है कि विधानसभा स्पीकर के आदेश पर पुलिस आप विधायकों को विधानसभा परिसर में प्रवेश नहीं करने दे रही है।
आप विधायकों का प्रदर्शन
आतिशी ने कहा कि पुलिस अधिकारियों का कहना है कि आप विधायक विधानसभा से निलंबित हैं, इसलिए उन्हें परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं है। इस घटनाक्रम को आतिशी ने अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक बताया। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने स्पीकर से संपर्क करने की कोशिश की तो कोई जवाब नहीं मिला।
आप विधायकों के इस प्रदर्शन को लेकर पार्टी ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर भी पोस्ट किया। पोस्ट में भाजपा सरकार पर तानाशाही रवैया अपनाने का आरोप लगाया गया। आप का कहना है कि विधानसभा में ‘जय भीम’ के नारे लगाने के कारण उनके विधायकों को तीन दिन के लिए निलंबित कर दिया गया और अब उन्हें विधानसभा भवन में प्रवेश करने से भी रोका जा रहा है।
पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने भाजपा पर साधा निशाना
आतिशी ने भाजपा पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि सत्ता में आते ही भाजपा ने तानाशाही की हदें पार कर दी हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा के इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है जब चुने हुए विधायकों को विधानसभा परिसर में प्रवेश करने से रोका गया है।
सीएजी रिपोर्ट पर भाजपा का पलटवार
वहीं, भाजपा विधायक सतीश उपाध्याय ने इस प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सीएजी (कैग) रिपोर्ट में आम आदमी पार्टी सरकार के भ्रष्टाचार का खुलासा हुआ है। उन्होंने आरोप लगाया कि आप सरकार ने अपने करीबी लोगों को फायदा पहुंचाया, जिससे दिल्ली की जनता को 2000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ।
भाजपा नेताओं का कहना है कि इस रिपोर्ट पर सदन में चर्चा होगी और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल समेत पूरी आप सरकार का असली चेहरा जनता के सामने लाया जाएगा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि दिल्ली के विकास कार्यों के लिए जो पैसा खर्च होना चाहिए था, वह भ्रष्टाचार में चला गया।
कांग्रेस ने भी उठाए सवाल
कांग्रेस ने भी सीएजी रिपोर्ट में उठाए गए सवालों की गहन जांच की मांग की है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा कि यह रिपोर्ट दिल्ली सरकार की लूट, झूठ और फूट को उजागर करती है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार का दावा था कि उनकी आबकारी नीति से राजस्व बढ़ेगा, लेकिन सीएजी रिपोर्ट ने दिखाया कि इसके कारण दिल्ली सरकार को 2002 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
कांग्रेस ने आबकारी नीति को लेकर विस्तृत जांच की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और आप की आपसी लड़ाई के कारण विधानसभा में इस रिपोर्ट पर उचित चर्चा नहीं हो पा रही है।
शराब नीति पर उठे गंभीर सवाल
सीएजी रिपोर्ट के आधार पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ने दिल्ली सरकार पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं। रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि शराब के ठेके खोलने के लाइसेंस कैसे दिए गए और किन नियमों का पालन नहीं किया गया।
इसके अलावा, भाजपा नेताओं ने यह भी सवाल उठाया कि जब मास्टर प्लान का उल्लंघन कर शराब के ठेके खोले गए, तो इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाएगा? उन्होंने मांग की कि तत्कालीन उपराज्यपाल की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए, क्योंकि उन्होंने इस नीति को मंजूरी दी थी।
राजनीति गरमाई, जनता के सवाल अनसुलझे
इस पूरे घटनाक्रम के बाद दिल्ली की राजनीति गरमा गई है। आम आदमी पार्टी अपने विधायकों के साथ धरने पर बैठी है, जबकि भाजपा और कांग्रेस दोनों सीएजी रिपोर्ट के आधार पर सरकार को घेर रहे हैं।
दिल्ली की जनता इस घमासान को देख रही है और उम्मीद कर रही है कि उनकी समस्याओं का समाधान जल्द निकले। लेकिन क्या यह राजनीतिक लड़ाई दिल्ली के आम नागरिकों के हित में है? यह एक बड़ा सवाल बना हुआ है।
निष्कर्ष
दिल्ली विधानसभा में मचे इस हंगामे ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी रहेगा। आप विधायक जहां अपने अधिकारों की मांग कर रहे हैं, वहीं भाजपा और कांग्रेस सरकार के फैसलों पर सवाल उठा रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह मामला क्या मोड़ लेता है और जनता को इसका क्या लाभ मिलता है।
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