डीटीसी का बढ़ता घाटा और नई सरकार की चुनौती

डीटीसी का बढ़ता घाटा और नई सरकार की चुनौती

दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) का 60 हजार करोड़ रुपये का घाटा नवगठित रेखा सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। महिलाओं को मुफ्त बस सेवा जारी रखने की घोषणा के बावजूद, सरकार के सामने आर्थिक संकट को नियंत्रित करने का कठिन दायित्व है।

डीटीसी का घाटा सात वर्षों में नहीं रुका

पिछली आप सरकार के कार्यकाल में डीटीसी के घाटे में कोई कमी नहीं आई, बल्कि यह लगातार बढ़ता गया। 60 हजार करोड़ रुपये के इस घाटे को नई सरकार को विरासत में मिला है। परिवहन मंत्री डॉ. पंकज सिंह ने महिलाओं की मुफ्त यात्रा जारी रखने की बात कही है, लेकिन डीटीसी को घाटे से निकालना उनके लिए भी चुनौतीपूर्ण होगा।

बस खरीदने में विफल रही पूर्व की सरकार

नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट के अनुसार, 2015 से 2020 के कार्यकाल में आप सरकार एक भी नई बस खरीदने में विफल रही। दिल्ली में बसों की आवश्यकता और उनकी उपलब्धता के बीच बड़ा अंतर बना रहा, जिससे यात्रियों को असुविधा झेलनी पड़ी।

तीन वर्षों में 35 हजार करोड़ रुपये का घाटा

कैग रिपोर्ट के अनुसार, डीटीसी को रूट निर्धारण में गड़बड़ियों के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा है। केवल तीन वर्षों में ही डीटीसी का घाटा 35 हजार करोड़ रुपये से अधिक पहुंच गया है।

ओवरएज बसें और खराब मेंटेनेंस

डीटीसी के बेड़े में लगभग 45% बसें ओवरएज हो चुकी हैं और बड़े स्तर पर खराब रहती हैं। कैग रिपोर्ट में बताया गया है कि 2015-16 में डीटीसी का घाटा 25,300 करोड़ रुपये था, जो 2021-22 में बढ़कर 60,750 करोड़ रुपये हो गया।

बस किराये में 2009 से कोई बदलाव नहीं

दिल्ली में डीटीसी बसों के किराये में 2009 से कोई बदलाव नहीं किया गया है। इस कारण डीटीसी का घाटा लगातार बढ़ता गया, और महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा शुरू करने से इस पर और बोझ बढ़ गया। कैग रिपोर्ट ने सुझाव दिया है कि इस घाटे से उबरने के लिए एक ठोस योजना की आवश्यकता है।

डीटीसी के पास आवश्यक संख्या में बसें नहीं

2007 में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि डीटीसी के पास 11 हजार बसों का बेड़ा होना चाहिए। लेकिन 2022 के अंत तक डीटीसी के पास केवल 3937 बसें थीं, जिनमें से 45% बसें कबाड़ हो चुकी थीं।

नई बसों की खरीद और फेम योजना का लाभ नहीं

2022 में आप सरकार ने 300 नई बसों की खरीद की, लेकिन इसके बावजूद 1740 बसों की कमी बनी रही। कैग रिपोर्ट में यह भी उजागर किया गया कि फेम-1 योजना के तहत मिले 49 करोड़ रुपये का लाभ आप सरकार ने नहीं उठाया।

रूट निर्धारण में खामियां

दिल्ली में 468 मार्गों पर डीटीसी बसों का संचालन किया जा रहा है, लेकिन किसी भी रूट पर चलने वाली बसें अपना खर्च तक नहीं निकाल पा रही हैं। 2015 से 2022 तक डीटीसी को 14,199 करोड़ रुपये का घाटा हुआ।

एएफसीएस और सीसीटीवी सिस्टम की असफलता

कैग रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि किराया वसूली के लिए स्वचालित किराया संग्रह प्रणाली (एएफसीएस) को 2017 में लागू किया गया, लेकिन यह मई 2020 से कार्यरत ही नहीं थी। इसके अलावा, 52.45 करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद बसों में लगाए गए सीसीटीवी सिस्टम का उपयोगकर्ता स्वीकृति परीक्षण लंबित रहने के कारण यह पूरी तरह चालू नहीं हो सका।

नई सरकार के लिए समाधान की दिशा में कदम

रेखा सरकार के सामने डीटीसी के घाटे को कम करने और सार्वजनिक परिवहन को सशक्त बनाने की बड़ी चुनौती है। इसके लिए:

  • रूट मैनेजमेंट में सुधार: यात्रियों की मांग और आवश्यकता के अनुसार रूट निर्धारण किया जाए।

  • नई बसों की खरीद: ओवरएज बसों को हटाकर नई बसों की संख्या बढ़ाई जाए।

  • राजस्व बढ़ाने के उपाय: विज्ञापन, किराया पुनर्निर्धारण और अन्य उपायों पर विचार किया जाए।

  • तकनीकी सुधार: एएफसीएस और सीसीटीवी सिस्टम को प्रभावी रूप से लागू किया जाए।

यदि इन सुझावों पर अमल किया जाता है, तो डीटीसी को घाटे से उबारा जा सकता है और दिल्ली की सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था को मजबूत किया जा सकता है।

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